हाइलाइट्स:
- टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के अगले ही दिन विराट-अनुष्का की वृंदावन यात्रा
- साधारण कपड़ों और टैक्सी में पहुंचे प्रेमानंद महाराज के आश्रम
- 2016 के मशहूर बयान “क्या मैं पूजा-पाठ वाला लगता हूं?” पर फिर से बहस शुरू
विराट कोहली ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी, और उसके ठीक अगले ही दिन वह अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन। दोनों ने यहां प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया। इस यात्रा को कोहली के क्रिकेट करियर के एक अध्याय के शांत समापन और आत्मिक जीवन की नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
2016 का बयान फिर हुआ ट्रेंड
विराट कोहली का एक पुराना बयान सोशल मीडिया पर फिर वायरल हो रहा है, जब उन्होंने 2016 के टी20 वर्ल्ड कप के दौरान मज़ाक में कहा था—”क्या मैं पूजा-पाठ वाला लगता हूं?” अब वही विराट कोहली साधारण कपड़े, मास्क और माला के साथ वृंदावन में दिखे, तो फैंस ने कहा—”अब तो आप सच में पूजा-पाठ वाले लगते हो!”
उज्जैन से उत्तराखंड तक आध्यात्मिक यात्रा
बीते कुछ वर्षों में विराट और अनुष्का लगातार भारत के पवित्र स्थलों की यात्रा पर जाते रहे हैं—महाकालेश्वर मंदिर, नीम करौली बाबा का आश्रम, और अब वृंदावन। ANI द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में दोनों को एक स्थानीय टैक्सी में बेहद सादगी के साथ आश्रम में पहुंचते देखा गया। विराट के हाथ में मंत्र गिनने वाला डिजिटल काउंटर भी था, जिसने उनके बदले स्वरूप की झलक दी।
पुराने विराट से नए विराट तक का सफर
2016 में विराट ने खुद स्वीकार किया था—”मैं वो लड़का था जो टैटू बनवाता था, फैशनेबल कपड़े पहनता था और बस मेहनत करता था।” लेकिन अब वो ऊर्जा ध्यान और आत्मिक शांति में बदल चुकी है। उनकी इस यात्रा में अनुष्का शर्मा की भूमिका को अहम माना जा रहा है।
महाकाल और नीम करौली बाबा के बाद वृंदावन में शांति
महाकालेश्वर मंदिर की यात्रा के दौरान “हर हर महादेव” का जयघोष करते विराट ने अपने पुराने नजरिए से एक बड़ा बदलाव दिखाया था। वहीं, नीम करौली बाबा के आश्रम में उन्होंने आत्मिक संतुलन पाया, जिसकी झलक उनके खेल और जीवन में भी दिखने लगी है।
टेस्ट क्रिकेट से विदाई, लेकिन संतोष के साथ
इंस्टाग्राम पर अपनी विदाई की घोषणा करते हुए कोहली ने लिखा, “टेस्ट क्रिकेट ने मुझे गढ़ा, परखा और जीवनभर के सबक दिए। ये फॉर्मेट कुछ निजी होता है – लंबी थकाऊ पारी, वो छोटे पल जो कैमरे में नहीं आते लेकिन दिल में बस जाते हैं। मैंने इसे सब कुछ दिया और बदले में इससे कहीं ज़्यादा पाया।”
उन्होंने अंत में लिखा—“मैं इस सफर से दिल भरकर जा रहा हूं—खेल के लिए, उन लोगों के लिए जिनके साथ मैदान पर उतरा, और हर उस फैन के लिए जिसने मुझे महसूस कराया कि मैं देखा जा रहा हूं। मैं हमेशा अपने टेस्ट करियर को मुस्कान के साथ याद करूंगा।”
विराट कोहली की ये आध्यात्मिक यात्रा उनके जीवन में एक नए अध्याय की ओर संकेत कर रही है—जहां खेल की आक्रामकता अब आत्मिक संतुलन और शांति में बदलती दिख रही है।