16 अप्रैल को जब मयंक यादव लखनऊ सुपर जायंट्स कैंप में लौटे, तो फैंस के चेहरे पर चमक थी। IPL 2024 में एक बार फिर 150 की रफ्तार देखने को मिलेगी—ऐसी उम्मीद हर किसी को थी। लेकिन टीम ने उन्हें तुरंत नहीं खिलाया, और पहला मुकाबला 27 अप्रैल को मुंबई इंडियंस के खिलाफ खेलने को मिला। हालांकि किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यह वापसी सिर्फ दो मैचों की कहानी बनकर रह जाएगी—पहले 2 विकेट और फिर अगले मैच में 60 रन लुटाकर बाहर!
● सिर्फ 10–12 नेट सेशन के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट?
● स्पीड गिरी 150 से सीधे 140 पर, टेपिंग और स्वेलिंग ने बढ़ाया शक
● LSG कैंप में पूछे गए सवाल, ट्रस्ट खत्म होने का संकेत?
मयंक यादव की गेंदबाज़ी में वो धार नज़र नहीं आई जो उन्होंने सीज़न की शुरुआत में दिखाई थी। उनकी स्पीड 150 से गिरकर 140 के आस-पास रह गई और वे लगातार स्लोअर वन और कटर्स पर निर्भर दिखे। LSG के अंदर के लोग भी हैरान थे कि यह हुआ कैसे। सूत्र बताते हैं कि उन्हें जल्दबाज़ी में मैदान में वापस उतारा गया और BCCI के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) ने सिर्फ 10-12 बॉलिंग सेशन के बाद उन्हें ‘फिट’ घोषित कर दिया
बताया जा रहा है कि शुरुआती सेशन्स में मयंक सिर्फ 80-85% की स्पीड से बॉलिंग कर रहे थे। जब कोई गेंदबाज़ लंबे ब्रेक के बाद लौटता है तो जरूरी होता है कि उसे फुल स्पीड पर टेस्ट किया जाए और फिर धीरे-धीरे वर्कलोड बढ़ाकर उसकी प्रतिक्रिया देखी जाए। यहां तो सिर्फ बॉक्स टिक किए गए और फुल लोड पर उनका टेस्ट शायद किया ही नहीं गया
LSG कैंप में शामिल होने के बाद भी मयंक की पीठ में सूजन थी और नेट्स में वो खुद को धीमा रख रहे थे। शरीर पर काफी टेपिंग हो रही थी ताकि क्रैम्प्स से बचा जा सके। लेकिन स्पीडोमीटर बार-बार बता रहा था कि मयंक अपने चरम पर नहीं हैं। उनकी एक्शन को लेकर भी चिंता है—उनका शरीर डिलीवरी के बाद साइड में गिरता है जिससे पीठ पर और दबाव बनता है। विशेषज्ञों की मानें तो उनकी एक्शन में सुधार की जरूरत है, नहीं तो ये समस्या दोहराई जाती रहेगी
कुछ दिन पहले LSG मैनेजमेंट और मयंक के बीच बातचीत हुई, जिसमें उनके स्पीड ड्रॉप और नॉन-मैच डे की एक्टिविटी पर सवाल किए गए। मयंक ने बताया कि वे अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा। उनका नॉन-मैच डे रूटीन वही है जो CoE ने तय किया था। इस बातचीत के बाद यह लगभग साफ हो गया कि LSG अब उन पर भरोसा नहीं कर रही और अगली सीज़न में उनका रिटेंशन संदिग्ध है
भारत में 150+ की स्पीड से बॉल डालने वाले गेंदबाज़ बहुत कम हैं और मयंक को BCCI ने खास कॉन्ट्रैक्ट देकर अपने रडार पर रखा था। लेकिन इस बार जो कुछ हुआ उसने CoE की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। असली जिम्मेदारी बोर्ड की थी कि वो मयंक को पूरी तरह से फिट होने दे, न कि उन्हें अधूरी रिकवरी के साथ मैदान में भेजे
क्रिकेट सिर्फ प्रदर्शन का खेल नहीं, तैयारी और सतर्कता का भी खेल है—और जब बात हो 150 kmph की रफ्तार वाले बॉलर की, तो एक भी चूक करियर बदल सकती है