IPL 2025: चेन्नई सुपर किंग्स की ‘विजेता मशीन’ क्यों हो गई फेल?

IPL इतिहास की सबसे सफल टीमों में गिनी जाने वाली चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) का IPL 2025 का सफर बेहद निराशाजनक रहा है। 30 अप्रैल को पंजाब किंग्स से मिली हार के बाद उनकी प्लेऑफ की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। एक टीम जो स्थिरता, रणनीति और अनुभव के लिए जानी जाती थी, वह इस बार मैदान पर पूरी तरह बिखरी नजर आई। इस सीजन ने CSK की नींव में मौजूद दरारें साफ कर दीं। आइए जानते हैं उन 5 बड़ी वजहों को, जिन्होंने पीली जर्सी वाली टीम को हाशिए पर ला खड़ा किया।

पुरानी रणनीतियों में उलझी बल्लेबाज़ी

2025 के T20 युग में जहां टीमें 220+ का स्कोर आम बना रही हैं, वहीं CSK की बल्लेबाज़ी का टेम्पो सालों पुराना नजर आया। पूरे सीजन में टीम ने पहली पारी में 200 का आंकड़ा नहीं छुआ। उनका इकलौता 200+ स्कोर भी एक चेज़ में आया, वो भी पंजाब किंग्स के खिलाफ। ये नतीजा संसाधनों की कमी नहीं, सोच में जड़ता की कहानी बयां करता है। शिवम दुबे और महेंद्र सिंह धोनी को छोड़ दें तो टीम में कोई भी बल्लेबाज़ हाई-इंटेंट या पावर-हिटिंग में नजर नहीं आया।

नाकाम नीलामी और बासी फैसले

CSK के पास इस बार मेगा नीलामी में ₹55 करोड़ का पर्स था। बावजूद इसके उनकी टीम में कोई ऐसा नाम नहीं दिखा जिसे देख फैंस कहें — “मैच जिताएगा ये!” टॉप ऑर्डर में विस्फोटक बल्लेबाज़ों की गैरमौजूदगी सबसे बड़ी कमी रही। देवोन कॉनवे, रचिन रविंद्र और राहुल त्रिपाठी जैसे खिलाड़ी अपनी जगह फिट तो थे, लेकिन गेम-चेंजर नहीं। गेंदबाज़ी में मथीशा पथिराना जब तक फिट रहे, चमक दिखी, लेकिन उनके अलावा गेंदबाज़ी आक्रमण बेरंग ही नजर आया।

कप्तानी में अस्थिरता

रुतुराज गायकवाड़ को टीम का भविष्य माना गया था, लेकिन शुरुआती चोट ने उन्हें बाहर कर दिया और एक बार फिर धोनी को कमान संभालनी पड़ी। हालांकि धोनी की सोच पर किसी को शक नहीं, लेकिन मौजूदा T20 क्रिकेट में आक्रामकता और लचीलापन बहुत ज़रूरी हो गया है। नेतृत्व में बदलावों ने टीम की लय और स्पष्टता दोनों पर असर डाला।

दिग्गज खिलाड़ी हुए फेल

CSK की पहचान रही है उनके अनुभवी खिलाड़ी, लेकिन इस बार वही भरोसेमंद नाम नाकाम रहे। रविचंद्रन अश्विन ₹9.75 करोड़ में टीम से जुड़े लेकिन 7 मैचों में सिर्फ 5 विकेट ही ले सके। रविंद्र जडेजा ने 10 मैचों में 183 रन और सिर्फ 7 विकेट लिए — ये आंकड़े उस खिलाड़ी के नहीं लगते जो टीम का दिल रहा हो। जब अनुभवी खिलाड़ी नहीं चमकते, तो युवा खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ता है, और CSK इस फ्रंट पर तैयार नहीं दिखी।

युवाओं पर भरोसा करने में देर कर दी

जहां बाकी फ्रेंचाइज़ियों ने 14 साल के वैभव सूर्यवंशी और प्रियांश आर्य जैसे युवा सितारों पर दांव खेला और सफलता पाई, वहीं CSK ने नयी प्रतिभाओं को मौका देने में देरी कर दी। अयुष माठरे और शेख राशिद जैसे खिलाड़ियों को तब मौका मिला जब हालात बिगड़ चुके थे। शुरुआत से अगर युवाओं को प्लान का हिस्सा बनाया जाता, तो शायद नतीजा कुछ और होता।

हाइलाइट्स

  • सीजन में एक भी बार पहली पारी में 200+ का स्कोर नहीं बना पाई CSK
  • मेगा ऑक्शन में नहीं दिखा कोई गेम-चेंजर, बॉलिंग लाइनअप भी कमजोर रहा
  • कप्तानी में लगातार बदलाव से टूटी लय और तालमेल
  • अश्विन-जडेजा जैसे सीनियर्स का प्रदर्शन बेहद फीका
  • युवाओं को मौका देने में की गई देरी टीम को भारी पड़ी

अब जबकि प्लेऑफ की रेस से CSK बाहर हो चुकी है और कुछ मैच बाकी हैं, टीम मैनेजमेंट के सामने सबसे बड़ा सवाल है — क्या पुराने भरोसे को छोड़कर एक नए युग की शुरुआत की जाएगी? Yellow Army को दोबारा चैंपियन बनने के लिए शायद अब पूरी सोच को रिवाइज करने की ज़रूरत है।

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