लखनऊ सुपरजायंट्स (LSG) के स्पिनर दिग्वेश राठी IPL 2025 में अपनी घातक गेंदबाज़ी और अनोखे “नोटबुक सेलिब्रेशन” के चलते चर्चा में हैं। लेकिन उनकी सफलता की कहानी सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं है — ये कहानी है संघर्ष, समर्पण और सपनों की उड़ान की।
“ना गॉडफादर था, ना पैसा…”
दिग्वेश के भाई सनी राठी, जो अब दिल्ली की मंडोली जेल में पुलिस कांस्टेबल हैं, बताते हैं कि परिवार ने कितनी कठिनाइयों का सामना किया।
“दिग्वेश के पास कोई गॉडफादर नहीं था, हमारे पास ना पैसा था, ना कोई जान-पहचान। लोगों ने कहा दिल्ली छोड़ दो। लेकिन हमने सोचा – भागें क्यों?”
बल्लेबाज से स्पिनर बनने का सफर
शुरुआत में दिग्वेश बल्लेबाज़ थे। लेकिन जब नेट्स में उन्हें अभ्यास के मौके नहीं मिलते थे, तब उन्होंने गेंदबाज़ी को अपना हथियार बनाया।
वेस्टइंडीज़ के स्टार सुनील नारायण को फॉलो करते हुए उन्होंने अपनी एक्शन और स्टाइल को डेवलप किया। आज वही अंदाज़ IPL में विपक्षी बल्लेबाजों की नाक में दम कर रहा है।
जब खिलाड़ी उन्हें गेंद देना भी नहीं चाहते थे…
सनी ने बताया,
“जब दिग्वेश की बैटिंग की बारी आती थी, अच्छे गेंदबाज़ उन्हें गेंद डालने में भी रुचि नहीं लेते थे क्योंकि वो कोई बड़ा नाम नहीं था। खिलाड़ी अपनी गेंद खुद लाते थे, इसलिए ‘अननोन’ खिलाड़ी पर बॉल खराब करना उन्हें मंज़ूर नहीं था।”
इस कठिन माहौल में सनी खुद उन्हें घंटों गेंदबाज़ी करते थे ताकि छोटा भाई प्रैक्टिस कर सके।
टैलेंट पहचाना गया – दिल्ली प्रीमियर लीग में धमाका
दिग्वेश की किस्मत तब बदली जब विजय दहिया ने उनका टैलेंट पहचाना और अपनी एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए बुलाया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली प्रीमियर लीग में साउथ दिल्ली सुपरस्टार्ज़ के लिए खेलते हुए 14 विकेट झटके और खुद को साबित कर दिया।
IPL में ₹30 लाख की बोली, BCCI से फाइन भी
LSG ने दिग्वेश को ₹30 लाख में खरीदा। उन्होंने अपने “नोटबुक सेलिब्रेशन” से फैंस के दिल जीते, लेकिन इसी जश्न के लिए उन्हें BCCI से फाइन भी झेलना पड़ा। बावजूद इसके, वो आज IPL में चर्चा का केंद्र हैं।
निष्कर्ष:
दिग्वेश राठी की कहानी हर उस युवा क्रिकेटर के लिए प्रेरणा है, जो बिना किसी सिफारिश, केवल मेहनत और जुनून के दम पर अपना नाम बनाना चाहता है। संघर्ष चाहे जितना बड़ा हो, अगर इरादे मजबूत हों — तो एक बल्लेबाज़ भी स्पिनर बनकर IPL का सितारा बन सकता है।